पवित्र शास्त्र
भजन संहिता औरनीति वचन
चेलो का सेवा के लिए भेजा जाना
तब उसने12वीं को एक साथ बुलायाऔर उनको सब
दुष्ट आत्माओं पर और बीमारियों को चंगा करने के लिए समर्थ और अधिकार अधिकार
दियाउसने उनको भेजो कि वह परमेश्वरके राज्य का सुसमाचार प्रचार करें और रोगियों को
चंगा करेंउसने उनसे कहा अपनी यात्रा के लिए कुछ न लेने जाना ना तो लाठी ना होला ना
रोटी और न रूपए पैसे यहां तक की दो-दो कुर्ते भी ना ले जाना जिस किसी घर में जाओ
वहीं रहो और वहीं से विदा हो जाओऔर जो तुमको स्वीकार न करें जब तुम उसे नगर में से
निकले तो उनके विरुद्धगवाहों के रूप में अपने पैरों से धूल झाड़ दो अतः वे निकालकर
गांव-गांव समाचार सुनते हुए और हर स्थान पर चंगाई करते चलेदेश के चौथाई के राजा
हीरो देश ने जब इन सब घटनाओं के विषय में सुना तो वह अत्यंत घबरा गया क्योंकि कुछ
लोगों के द्वारा कहा जा रहा था कि यूहन्ना मरे हुए में से जी उठा है कुछ कहते थे
कि आलिया प्रगट हुआ है अन्य लोगों के अनुसार पुराने नदियों में से एक जी उठा है
हीरो देश ने कहा यूहन्ना का सर तो स्वयं मैं कटवाया था परंतु यह मनुष्य कौन है
इसके विषय में मैं ऐसी बातें सुनता हूं और वह उसे देखने का प्रयत्न करता रहा
5000 को खिलाना
जब प्रेरित लौट आए तो सब कुछ जो
उन्होंने किया थाउसे बताया तब वह उनको अपने साथ लेकर चुपचापबैठ सादा नमक नगर को
गया परंतु भीड़ के लोगों को पता चल गया और वह उसके पीछे चल पड़े उनका स्वागत करके
वह उनसे परमेश्वर के राज्य की बातें करने लगा और जिनको चंगा होने की आवश्यकता थी
उसने उन्हें चंगा किया जब दिन ढलने लगा तो12ने उसके पास आकरकहा भीड़ को विदा
कर कि वे आसपास के गांव को और बस्तियों में जाकर अपने लिए रहने को स्थान और खाने
को कुछढूंढ सके क्योंकि हम तो यहां निर्जन स्थान में हैं परंतु उसने उनसे कहा तुम ही
उन्हें कुछ खाने को दो उन्होंने कहा हमारे पास पांच रोटी और दो मछलियों के
अतिरिक्त और कुछ नहीं जब तक कि हम जाकर सारी भीड़ के लिए भोजन मल नाल आए यह नहीं
हो सकता क्योंकि वहां पर लगभग 5000 पुरुष थेउसने अपने चेलों से कहा 50-50 की पंक्तियों में उन्हें भोजन करने
बैठा दो उन्होंने इसी प्रकार उन सब को बैठा दिया तब उसने पांच रोटी और दो
मछलियोंको हाथ में लिया और स्वर्ग की ओर दृष्टि करके उन पर आशीष मांगी और उन्हें
तोड़कर खेलों को देता गया वे लोगों को भरोसे तब सब लोग खाकर तृप्त हुए संतुष्ट हुए
और उन्होंने बचे हुए टुकड़ों से भारी 12 टोकरिया उठाई
यीशु को मसीह मानना
फिर जब वह अकेला प्रार्थना कर रहा
थाऔर चेले उसके साथ थे तो उसनेउनसे पूछा मैं कौन हूं इस विषय में लोग क्या कहते
हैं उन्होंने उत्तर दिया जीवन ना भक्ति समा देने वाला पर कुछ कहते हैं आलिया और
अन्य लोगों के अनुसारप्राचीन नदियों में से कोई एक जो जी उठा है उसने उनसे कहा पर
तुम मुझे क्या कहते हो पतरस ने उत्तर दिया परमेश्वर का मसीह पर उसने उन्हें
चेतावनी देकर आदेश दिया कि यह बात किसी से ना कहना औरकहा यह आवश्यक है कि मनुष्य
का पुत्र बहुत दुख उठाए और प्रशीनोंमहायोजकों व शास्त्रियों द्वारा त्याग जाकर मार
डाला जाए और तीसरे दिन जी उठे तब उसने सब लोगों से कहा यदि कोई मेरे पीछे आना
चाहता है तो वह स्वयं का इंकार करें प्रतिदिन अपना पुरुष उठाएंऔर मेरा अनुसरण करें
क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहिए वह उसे होगा परंतु जो कोई अपना प्राण मेरे
लिए देगा वह उसे बचाएगा यदि कोई मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करें और अपने को को दे
अथवा उससे वंचित हो जाए तो उसे क्या लाभ होगा जो मुझे और मेरे वचन से लज्जित होता
है उसे मनुष्य का पुत्र भी उसे समय लज्जित होगा जब वह अपनी और अपने पिता कीऔर
स्वर्ग दूधों की महिमा में आएगा पर मैं तुमसे सख्त बैठा हूं कि यह यहां कुछ ऐसे
खड़े हैं जो जब तक स्वर्ग का राज्य ना देख ले तब तक मृत्यु का स्वादना चाहेंगे
यीशु का दिव्य रूपांतरण
इन बातों के लगभग 8 दिन पश्चात ऐसा हुआ कि वह पतरस
यूहन्ना और याकूब कोसाथ लेकर प्रार्थना करने के लिए पर्वत पर चढ़ गया जब वह
प्रार्थना कर रहा था तो उसकेमुख का रूप बदल गया और उसका वस्त्र श्वेत होकर चमकने
लगा देखा दो मनुष्य उससे बातें कर रहे थे वह मूसा और इंडिया थे यह महिमा में प्रकट
होकर उसके मरने के विषय में बातें कर रहे थेजिसे वह यरुशलम में पूरा करने पर था
पतरस और उसके साथियों को नींद ने दबा रखा था पर जब वह पूर्ण रूप से जाग उठे तो
उन्होंने उसकी महिमा को और उसके साथ उन दोनों मनुष्यों को खड़े देखा जबहुए उसे विदा
होने लगे तो पतरस ने यीशु से कहा है स्वामी यहां रहना हमारे लिए अच्छा अतः हमतीन
तंबू खड़े करें एक तेरे लिए एक मूसा के लिए और एक एरिया के लिए वह जानता ना था कि
क्या कह रहा है वहयह का एक बादल उठाजो उन पर छाने लगा और जब वह बादल से गिरने लगे
तो डर गए तब बदले में से यह शब्द सुनाई दिया यह मेरा पुत्र मेरा चुनाव हुआ है इसकी
सुनो जब वनआई हो चुकी तो यीशु वहां अकेला पाया गया वे चुपचाप रहे और जो कुछ देखा
था उसके विषय में उन्होंनेउन दिनों किसी को कुछ नहीं बताया
दुष्ट आत्मग्रस्त लड़के की चंगाई
दूसरे दिन ऐसा हुआ कि जब वह उसे
पर्वत से नीचे उतरते तो एक बड़ी भीड़ उससे मिली और देखो भीड़ में से एक मनुष्य ने
चिल्लाकर कहा है गुरु मैं तुझे विनती करता हूं कि तू मेरे पुत्र पर कृपा दृष्टि कर
क्योंकि वह मेरा इकलौता पुत्र है और देख एक दुष्ट आत्माउसमें समा जाती है और वह
अचानक ठीक होता है वह उसे ऐसामरोड़ती है कि उसके मुंह से फन निकलने लगता है और वह
उसे विकृत करके कठिनाई से छोड़ती है मैं तेरे चेलों से विनती कीकि उसे निकले पर भी
ना निकल सके यीशु ने उसे उत्तर दिया है अविश्वासी और हथेली पीढ़ी में कब तक
तुम्हारे साथ रहूंगा और तुम्हारी सहायता रहूंगा अपने पुत्र को यहां ले ए वह आ ही
रहा था की दुष्ट आत्मा ने उसे भूमि पर पटक कर बुरी तरह मरोड़ दिया पर यीशु ने उसे
अशुद्ध आत्मा को डाटा और लड़के को चंगा करके उसके पिता को सौंप दिया तब परमेश्वर
ही महानता से सब लोग आश्चर्यचकित हुएवह जो कुछ कर रहा था उसको देखकर जब सब लोग
संभव कर रहे थे तो उसने अपने चेलों से कहा इन सब बातों पर काम दो क्योंकि मनुष्य
का पुत्र लोगों के हाथों में पकड़वाया जाने वालाहै कापरंतुवे इस कथन को ना समझे और
यह बात उनसे गुप्त रही कि वह उसे न जाने और वह इसके विषय में उसे पूछने से डरते थे
सबसे बड़ा कौन
तब उनके मध्य इस बात पर विवाद होने लगाकि हमें से कौन सबसे बड़ा है तब यीशु ने यह जानकर कि वे अपने मन में क्या सोच रहे हैं एक बालक को लेकरअपने निकटखड़ा किया जो कोई इस बालक कोमेरे नाम से ग्रहण करता है वह मुझे ग्रहण करता हैऔर जो कोई मुझे ग्रहण करता है वह उसको ग्रहण करता है जिसने मुझे भेजा है क्योंकि जो तुम्हेंसबसे छोटा हैवहीस्वर्ग में सबसे बड़ा हैतब यूहन्ना ने कहा है स्वामी हमने एक मनुष्य को तेरे नाम से दुष्ट आत्माओं को निकलते देखा और उसे रोकने का प्रयत्न किया क्योंकि वह हमारे साथ रहकर तेरा अनुसरण नहीं करता परंतु यीशु नेउससे कहा उसे मत रोको क्योंकि जो तुम्हारे विरोध में नहीं वह तुम्हारे साथ है
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