ऐसा हुआ कि एक दिन जब वह मंदिर
में लोगों को उपदेश दे रहा था और सुसमाचार प्रचार कर रहा था तो मुख्ययजुर्कों और
शास्त्रियों ने कुछ प्रशीनों के साथ जाकर उसका सामना किया और उससे कहा हमें बता कि
तू यह कर किस अधिकार से करता है अथवा वह कौन है जिसने तुझे यह अधिकार दिया है उसने
उन्हें उत्तर दिया मैं भी तुमसे एक प्रश्न पूछता हूं तुम मुझे बताओ यूहन्ना का वह 25 माक्या स्वर्ग से था या मनुष्य की
ओर से तब हुएआपस में तर्क करने लगे यदि हम कहीं स्वर्ग से तो वह कहेगा तुमने उसे
पर विश्वास क्यों नहीं किया परंतु यदि हम कहें मनुष्यों की ओर से तो सब लोग पतराव
करके हमें मार डालेंगे क्योंकि उनको निश्चय है की योजना एक नबी था इस पर उन्होंने
उत्तर दिया कि नहीं मालूम कि वह कहां से था यीशु ने उनसे कहा मैं भी तुम्हें नहीं
बताऊंगा कि किस अधिकार से मैं यह कार्य करता हूंतब वह लोगों से यह दृष्टांत कहने
लगाकिसी मनुष्य ने दाग उद्यान लगाकर उसे किसानों को किराए पर दिया और स्वयं लंबी
यात्रा पर निकल गया फसल के समय उसने किसानों के पास एक दास को भेजो कि वह उसे
उद्यान की फसल में से कुछ उसे दिन पर उन्होंने उसे मारपीट कर खाली हाथ लौटा दिया
इस पर उसने दूसरे दास को भेजो पर उन्होंने उसे भी मारपीट भाव अपमानित करके खाली
हाथ भेज दिया इसी प्रकार उसने तीसरी को भेजो और उन्होंने उसको भी घायल करके भगा
दिया तब उद्यान के स्वामी ने कहा मैं क्या करूं मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूंगा
कदाचित हुए उसका सम्मान करेंगेपरंतु जब किसानों ने उसे देखा तो आपस में यह कहकर
निश्चय किया कि यह तो उत्तराधिकार है आओ हम इसे मार डालें की उत्तराधिकार हमारा हो
जाए उन्होंने उसे डाक खाद्यान्न से निकलकर मार डाला अतः उद्यान की स्वामी उनके साथ
क्या करेगा वह जाकर उन किसानों को नाश करेगी और दाग खाद्यान्न अन्य लोगों को
सौंपेगायह सुनकर उन्होंने कहाऐसा कभी ना हो परंतु उसने उनकी और देखकर कहा तो यह
क्या लिखा है जिस पत्थर को राजमिस्त्री ने ठुकरा दिया था वही खोने का पत्थर बन गया
प्रत्येक जो उसे टकराएगा चकनाचूर हो जाएगा परंतु जिस पर वह गिरेगा उसे धूल के समान
पीस डालेगा उसी क्षण शास्त्रियों और मुख्य यजुर्कों ने उसे पकड़ने का प्रयत्न किया
क्यों की गई समझ गए थे कि उसने यह दृष्टांत हमारे ही विरोध में कहा है परंतु लोगों
से डर गए
वह उसकी तक में लग रहे और ऐसे भेजिए भेजें जो
धार्मिक होने का ढूंढ रच कर उसके किसी कथन से उसे पड़े और उसे राज्यपाल के हाथ और
अधिकार में सौंप दें उन्होंने यह कहकर उसे प्रश्न किया है गुरु हम जानते हैं कि तू
ठीक बोलते हैं वह सही शिक्षा देता है और तू किसी का पक्ष नहीं लेता वरन परमेश्वर
का मार्गसच्चाई से सीखना हैकैसर को कर चुकाना उचित है या नहीं पर उसने उनकी चतुराई
को जानकर उनसे कहा मुझे एक दिनार दिखाओ इस पर आकृति और लेख किसके हैं उन्होंने कहा
केसर के उसने उनसे कहा तो जो कैसर का है वह केसर को दे दो और जो परमेश्वर का है वह
परमेश्वर को दे दोवह लोगों के समक्ष उसे किसी बात में ना पकड़ सके परंतु उसके
उत्तर से अचंभित होकर चुप रहे फिर कुछसाधु की जिनका कहना है की पुनरुत्थान है ही
नहीं उसके पास आए उन्होंने उसे प्रश्न किया और कहा है गुरु मूसा ने लिखा है यदि
कोई मनुष्य जिसकी पत्नी हो की संतान मर जाए तो उसका भाई उसे स्त्री से विवाह करके अपने
भाई के लिए संतान उत्पन्न करें अबऐसा हुआ कि सात भाई थे पहले भाई ने विवाह किया पर
वह अपनी संतान मर गया और दूसरे ने भी और तीसरे ने भी उसे स्त्री को अपनी पत्नी
बनाया इसी प्रकार सातों की संतान मर गए अंत में वह स्त्री भी मर गईइसलिए जब
पुनरुत्थान होगा तो वह किसकी पत्नी होगी जबकि सातों ने उसे अपनी-अपनी पत्नी बनाया
था यीशु ने उनसे कहा इस युग की संताने शादी किया करती वह करवाती हैं परंतु वह जो
उसे युग में प्रवेश करने और मरे हुए में से जी उठने के योग ठहरे हैं ना तो शादी
ब्याह करेंगे और ना करवाएंगे ना तो वह फिर कभी मारेंगे क्योंकि वे पुनरुत्थान की
संतान बनाकर स्वर्ग दूधों के सम्मान और परमेश्वर की संतान होंगे मरे हुए तो गीले
जाते हैं मूसा भी इस बात को जल्दी झाड़ी वाले स्थल में प्रकट करता हैयहां वह प्रभु
को इब्राहिम का परमेश्वर इस आज का परमेश्वर और याकूब का परमेश्वर कहता है वह मरे
हुए को नहीं परंतु जीवितो का परमेश्वर है क्योंकि सब उसके लिए जीवित रहते हैं कुछ
शास्त्रों में उत्तर दिया है गुरु तूने ठीक कहा है इसके बाद उनको किसी भी बात में
उसे प्रश्न पूछने पर साहस नहीं हुआ
अध्याय-यीशु के अधिकार का प्रश्न
कर चुकाने के संबंध में शिक्षा
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