पवित्र शास्त्र अध्याय-यीशु के अधिकार का प्रश्न Scripture Chapter-The Question of Jesus' Authority

पवित्र शास्त्र अध्याय-यीशु के अधिकार का प्रश्न Scripture Chapter-The Question of Jesus' Authority

पवित्र शास्त्र भजन संहिता और नीति वचन Scriptures Psalms and Proverbs


ऐसा हुआ कि एक दिन जब वह मंदिर
में लोगों को उपदेश दे रहा था और सुसमाचार प्रचार कर रहा था तो मुख्ययजुर्कों और
शास्त्रियों ने कुछ प्रशीनों के साथ जाकर उसका सामना किया और उससे कहा हमें बता कि
तू यह कर किस अधिकार से करता है अथवा वह कौन है जिसने तुझे यह अधिकार दिया है उसने
उन्हें उत्तर दिया मैं भी तुमसे एक प्रश्न पूछता हूं तुम मुझे बताओ यूहन्ना का वह 25 माक्या स्वर्ग से था या मनुष्य की
ओर से तब हुएआपस में तर्क करने लगे यदि हम कहीं स्वर्ग से तो वह कहेगा तुमने उसे
पर विश्वास क्यों नहीं किया परंतु यदि हम कहें मनुष्यों की ओर से तो सब लोग पतराव
करके हमें मार डालेंगे क्योंकि उनको निश्चय है की योजना एक नबी था इस पर उन्होंने
उत्तर दिया कि नहीं मालूम कि वह कहां से था यीशु ने उनसे कहा मैं भी तुम्हें नहीं
बताऊंगा कि किस अधिकार से मैं यह कार्य करता हूंतब वह लोगों से यह दृष्टांत कहने
लगाकिसी मनुष्य ने दाग उद्यान लगाकर उसे किसानों को किराए पर दिया और स्वयं लंबी
यात्रा पर निकल गया फसल के समय उसने किसानों के पास एक दास को भेजो कि वह उसे
उद्यान की फसल में से कुछ उसे दिन पर उन्होंने उसे मारपीट कर खाली हाथ लौटा दिया
इस पर उसने दूसरे दास को भेजो पर उन्होंने उसे भी मारपीट भाव अपमानित करके खाली
हाथ भेज दिया इसी प्रकार उसने तीसरी को भेजो और उन्होंने उसको भी घायल करके भगा
दिया तब उद्यान के स्वामी ने कहा मैं क्या करूं मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूंगा
कदाचित हुए उसका सम्मान करेंगेपरंतु जब किसानों ने उसे देखा तो आपस में यह कहकर
निश्चय किया कि यह तो उत्तराधिकार है आओ हम इसे मार डालें की उत्तराधिकार हमारा हो
जाए उन्होंने उसे डाक खाद्यान्न से निकलकर मार डाला अतः उद्यान की स्वामी उनके साथ
क्या करेगा वह जाकर उन किसानों को नाश करेगी और दाग खाद्यान्न अन्य लोगों को
सौंपेगायह सुनकर उन्होंने कहाऐसा कभी ना हो परंतु उसने उनकी और देखकर कहा तो यह
क्या लिखा है जिस पत्थर को राजमिस्त्री ने ठुकरा दिया था वही खोने का पत्थर बन गया
प्रत्येक जो उसे टकराएगा चकनाचूर हो जाएगा परंतु जिस पर वह गिरेगा उसे धूल के समान
पीस डालेगा उसी क्षण शास्त्रियों और मुख्य यजुर्कों ने उसे पकड़ने का प्रयत्न किया
क्यों की गई समझ गए थे कि उसने यह दृष्टांत हमारे ही विरोध में कहा है परंतु लोगों
से डर गए
वह उसकी तक में लग रहे और ऐसे भेजिए भेजें जो
धार्मिक होने का ढूंढ रच कर उसके किसी कथन से उसे पड़े और उसे राज्यपाल के हाथ और
अधिकार में सौंप दें उन्होंने यह कहकर उसे प्रश्न किया है गुरु हम जानते हैं कि तू
ठीक बोलते हैं वह सही शिक्षा देता है और तू किसी का पक्ष नहीं लेता वरन परमेश्वर
का मार्गसच्चाई से सीखना हैकैसर को कर चुकाना उचित है या नहीं पर उसने उनकी चतुराई
को जानकर उनसे कहा मुझे एक दिनार दिखाओ इस पर आकृति और लेख किसके हैं उन्होंने कहा
केसर के उसने उनसे कहा तो जो कैसर का है वह केसर को दे दो और जो परमेश्वर का है वह
परमेश्वर को दे दोवह लोगों के समक्ष उसे किसी बात में ना पकड़ सके परंतु उसके
उत्तर से अचंभित होकर चुप रहे फिर कुछसाधु की जिनका कहना है की पुनरुत्थान है ही
नहीं उसके पास आए उन्होंने उसे प्रश्न किया और कहा है गुरु मूसा ने लिखा है यदि
कोई मनुष्य जिसकी पत्नी हो की संतान मर जाए तो उसका भाई उसे स्त्री से विवाह करके अपने
भाई के लिए संतान उत्पन्न करें अबऐसा हुआ कि सात भाई थे पहले भाई ने विवाह किया पर
वह अपनी संतान मर गया और दूसरे ने भी और तीसरे ने भी उसे स्त्री को अपनी पत्नी
बनाया इसी प्रकार सातों की संतान मर गए अंत में वह स्त्री भी मर गईइसलिए जब
पुनरुत्थान होगा तो वह किसकी पत्नी होगी जबकि सातों ने उसे अपनी-अपनी पत्नी बनाया
था यीशु ने उनसे कहा इस युग की संताने शादी किया करती वह करवाती हैं परंतु वह जो
उसे युग में प्रवेश करने और मरे हुए में से जी उठने के योग ठहरे हैं ना तो शादी
ब्याह करेंगे और ना करवाएंगे ना तो वह फिर कभी मारेंगे क्योंकि वे पुनरुत्थान की
संतान बनाकर स्वर्ग दूधों के सम्मान और परमेश्वर की संतान होंगे मरे हुए तो गीले
जाते हैं मूसा भी इस बात को जल्दी झाड़ी वाले स्थल में प्रकट करता हैयहां वह प्रभु
को इब्राहिम का परमेश्वर इस आज का परमेश्वर और याकूब का परमेश्वर कहता है वह मरे
हुए को नहीं परंतु जीवितो का परमेश्वर है क्योंकि सब उसके लिए जीवित रहते हैं कुछ
शास्त्रों में उत्तर दिया है गुरु तूने ठीक कहा है इसके बाद उनको किसी भी बात में
उसे प्रश्न पूछने पर साहस नहीं हुआ

अध्याय-यीशु के अधिकार का प्रश्न

कर चुकाने के संबंध में शिक्षा

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